मुकरना भी जरूरी था – A Heartfelt #बसंत_ठाकुर Song
The Impact of #बसंत_ठाकुर’s Song “मुकरना भी जरूरी था” in 2023
संत कबीर दास के द्वारा लिखी और गायी गई गानाएं शास्त्रीय संगीत से लेकर बॉलीवुड ट्रेंड पर भी बहुत प्रभाव डाली है।
इतिहास की बातें
प्रसिद्ध टैगोरीय कविवर बसंत ठाकुर जो कि मौलिक रूप से इवां भाषा के कवि कहलाते थे। उन्होंने गायकी और संगीत को सापेक्ष शायरी के रूप में जोड़ा।
गीत की तारीफ
इस वक्त के गाने में आपको दर्द, दुःख, गम की भावना को शायद ही दूसरे किसी गाने में मिले।
- गीत में शब्दों की कमी नहीं है, जो अपने आप में एक कहानी कह रहे हैं।
- गायक की गायकी का धन्यवाद जिन्होंने इस गाने को एक अलग पहचान दी है।
- बसंत ठाकुर की ताल में संगीत की सुंदरता से जिनको लोग भव्यता और लोकप्रियता प्राप्त हुई।
गाने का महत्व
गाने में फिल्म के पात्र द्वारा महसूस किए जाने वाले भाव दर्शक के साथ जुड़ जाते हैं। गाने की संगत और वीडियो का अंश लोगों को गाने की गहराई में ले जाता है।
निगाहें प्रतिक्षा क्यों कर रही हैं?
गीत का मजबूत ताल दर्शकों को जोर के साथ सुनने वजह से महसूस कराता है। यह भावनात्मक रूप से गीत को सबसे ऊंचा स्तर तक पहुंचाता है।
- गीत में गानेवाले कौन हैं?
- गाने में किस-किस सन्तान की भागीदारी है?
- गाने का संगीतक कौन है?
क्या गीत ने समाज में अच्छा प्रभाव डाला?
गीत में भेदभाव, एकता, समाज से जुड़े विषयों पर बात की गई है। यह एक समाजिक संदेश भी देता है।
संगीत के प्रौद्योगिकी फेर न क्यों की गई?
इस गीत का संगीत सुनने के बावजूद, जो कि आजकल की तरह तेज़ और पॉपुलर संगीत से भिन्न है।
- संगीत का स्वाद और रंग बदलने की गरज पड़ती है।
- बदलते समय की मांग है कि संगीत का अर्थ भी बदले।
गाने का समापन और इसका प्रभाव
इस गीत ने लिस्टनर्स के दिल में गहरी छाप छोड़ी है और उन्हें एक सकारात्मक और परिपक्व मानसिकता से प्रभावित किया है।